चन्द सुधियों की सूखी हुई पत्तियाँ

चन्द सुधियों की सूखी हुई पत्तियाँ रोज़ आँगन से चुनती रहीं आँधियाँ   अपनी धुन में नदी गुनगुनाती रही छटपटाती रहीं रेत पर मछलियाँ   मेरे आँगन में ख़ुशियाँ पलीं इस तरह निर्धनों के यहाँ जिस तरह बेटियाँ   जिस तरफ़ मोड़ देंगे ये मुड़ जाएँगीं बेटियाँ वृक्ष की हैं हरी डालियाँ   गिर के … Continue reading चन्द सुधियों की सूखी हुई पत्तियाँ